Autism और ADHD में क्या अंतर है? जानिए माता-पिता के लिए आसान भाषा में

आजकल हम बच्चों के व्यवहार में कई बार ऐसे बदलाव देखते हैं जो सामान्य नहीं लगते — जैसे कि कोई बच्चा बार-बार एक ही काम करता रहता है, बात नहीं करता, या बहुत ज़्यादा एक्टिव और ध्यान भटका हुआ रहता है। ऐसे में दो नाम अक्सर सुनने को मिलते हैं: Autism (ऑटिज़्म) और ADHD (एडीएचडी)। ये दोनों ही neurodevelopmental disorders हैं, यानी मस्तिष्क के विकास से जुड़े विकार, लेकिन इन दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं जिन्हें समझना बेहद ज़रूरी है।

आइए इसे आसान भाषा में, पॉइंट दर पॉइंट समझते हैं:


1. ध्यान और फोकस में अंतर

ADHD में:

  • बच्चा बहुत ज़्यादा हाइपर होता है।
  • एक जगह बैठ नहीं पाता, हमेशा किसी न किसी चीज़ में व्यस्त या बेचैन रहता है।
  • उसे एक ही काम पर ध्यान लंबे समय तक केंद्रित करना मुश्किल लगता है।
  • पढ़ाई, बातचीत या किसी खेल में भी बहुत जल्दी distract हो जाता है।

Autism में:

  • बच्चा किसी एक चीज़ या गतिविधि में बहुत गहराई से डूब जाता है।
  • वह बार-बार एक ही चीज़ करता है, जैसे एक ही खिलौना घंटों घुमाना।
  • ध्यान कम नहीं बल्कि एक ही चीज़ पर जरूरत से ज़्यादा लगा रहता है

2. सामाजिक व्यवहार (Social Interaction) में अंतर

ADHD में:

  • बच्चा लोगों से मिलने की कोशिश करता है, दोस्त बनाना चाहता है।
  • लेकिन उसकी impulsive nature की वजह से वह बातचीत में बीच में बोलता है, कभी-कभी अजीब हरकतें कर देता है।

Autism में:

  • बच्चा अक्सर आँखों में आँख डालकर बात नहीं करता
  • वो दूसरों के हावभाव, चेहरे के भाव या भावनाओं को समझ नहीं पाता
  • समाज से दूर रहना पसंद करता है और एकांतिक स्वभाव दिखाता है।

3. भाषा और बोलने के तरीके में अंतर

ADHD में:

  • बोलने में कोई खास देरी नहीं होती, लेकिन बच्चा बहुत तेज या बिना रुके बोलता है
  • वह कभी-कभी बिना सोचे impulsively बोल सकता है।

Autism में:

  • बोलने में देरी होना आम है।
  • कुछ बच्चे एक शब्द को बार-बार दोहराते हैं, या अजीब तरीके से बोलते हैं।
  • बातचीत में भाव नहीं होते, और अक्सर दूसरों से बातचीत में रुचि नहीं लेते

4. रुचियाँ और आदतें (Interests and Habits)

ADHD में:

  • बच्चा बार-बार नई चीज़ों की तलाश में रहता है।
  • उसे एक ही खेल या काम जल्दी बोर कर देता है।

Autism में:

  • बच्चा किसी खास चीज़ में गहरी रुचि रखता है, जैसे गाड़ी, पंखा, रोशनी।
  • Repetitive behavior दिखाता है — जैसे खिलौनों को लाइन में लगाना या हाथ हिलाना।

5. कारण (Causes) और Diagnosis

  • दोनों ही disorders के पीछे genes, brain structure और environmental factors का योगदान होता है।
  • Autism और ADHD एक साथ भी हो सकते हैं — इसे comorbid condition कहते हैं।
    उदाहरण: कोई बच्चा सोशल बातचीत में कमजोर हो सकता है (Autism) और साथ ही ध्यान केंद्रित भी न कर पाता हो (ADHD)।

6. इलाज और सपोर्ट (Treatment and Support)

ADHD के लिए:

  • Behavior therapy, रूटीन बनाना, और कुछ मामलों में medication (जैसे stimulant drugs) दी जाती हैं।
  • माता-पिता और शिक्षकों को positive reinforcement के साथ बच्चे को गाइड करना होता है।

Autism के लिए:

  • Speech therapy, occupational therapy, ABA (Applied Behavior Analysis) जैसी techniques फायदेमंद होती हैं।
  • sensory integration activities जैसे ब्रशिंग, स्विंगिंग, पानी के खेल से sensory balance आता है।

निष्कर्ष: सही समय पर पहचान, सही दिशा में मदद

Autism और ADHD के लक्षण कई बार एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनकी जड़ें और ज़रूरतें अलग होती हैं। इसलिए माता-पिता को सलाह दी जाती है कि अगर बच्चे में बार-बार कोई असामान्य व्यवहार दिखे — तो delay न करें, developmental pediatrician या child psychologist से मिलें।

हर बच्चा खास होता है, और समय पर की गई मदद उसका जीवन बदल सकती है। Awareness ही पहला कदम है — चलिए इसे मिलकर फैलाएं।


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